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Mahila Jagat

चुलबुले अंदाज में पाठकों को गुदगुदाती आई डू! डू आई?

November 15, 2014 03:29 PM

लेखन मेरा पेशा नहीं, बल्कि लिखना मेरे लिए सांस लेने की तरह है। मैं आत्म संतुष्टि और खुद को संयत रखने के लिए लिखती हूँ। यह कहना है इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ फॉरेन ट्रेड की गोल्ड मेडलिस्ट और आईईटी लखनऊ की टॉपर रही युवा लेखिका रुचिता मिश्रा का।लखनऊ में पली बढ़ी और विवाह के बाद लन्दन में कॉर्पोरेट जगत में कार्यरत रुचिता की दूसरी किताब आई डू! डू आई? हाल ही में लांच हुई है। एक प्रेमी जोड़े की सगाई से विवाह तक की यात्रा का बड़े ही चुलबुले अंदाज में वर्णन करती यह पुस्तक लांच के बाद से ही बेस्ट सेलर बनी हुई है। रुचिता के अनुसार, आमतौर पर सगाई से लेकर शादी तक के समय को बहुत उत्कृष्ट और हर प्रकार से अच्छा माना जाता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। शादी का निर्णय अपने आप में जीवन बदलने वाला फैसला होता है और लोग भविष्य को लेकर अक्सर नर्वस महसूस करते हैं। इन्हीं सब घटनाओं और कन्फ्यूजनस को हल्के फुल्के मजाकिया अंदाज में इस किताब में पेश किया गया है। 

इसके अलावा रुचिता के लेखन की सबसे बड़ी विशेषता पाठकों को हंसाने के साथ साथ अपने किरदारों के माध्यम से मैसेज देना भी है। आई डू! डू आई? की प्रमुख किरदार कस्तूरी और उसकी माँ के बीच संवादों के माध्यम से जहाँ रुचिता अलग-अलग रिलेशनशिप टिप्स पाठकों को देती हैं, वहीँ नॉवेल में अनन्या, कस्तूरी और पिताजी के संबंधों के बहाने प्रगाढ़ दोस्ती की मिसाल भी देखने को मिलती है। साथ ही कस्तूरी के बॉस द्वारा उसके काल्पनिक बहरेपन के इलाज और उसकी होने वाली सास द्वारा उसे कुकिंग क्लास में भेजने जैसे प्रसंग गुदगुदाते हैं। रुचिता के इस नॉवेल में एक बड़ा संदेश है कि चाहे दो लोग परफेक्ट नहीं हो सकते, लेकिन रिश्ते परफेक्ट हो सकते हैं।

रुचिता का पहला नॉवेल द इनएलिजिबल बैचलर्स भी बेस्ट सेलर रह चूका है, जिसके लिए उन्हें वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा साहित्य के क्षेत्र में अवध सम्मान से भी नवाज़ा जा चुका है। रुचिता कहती है कि उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक रहा है, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि इस शौक की वजह से एक दिन इतनी ख्याति मिलेगी। अपनी दो पुस्तकों की सफलता से उत्साहित रुचिता अब अपनी तीसरी पुस्तक लिखने में व्यस्त है जो सीरियस रोमांस पर आधारित रहेगी।

                                     गिरीश सत्यपाल सैनी

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