लोहारू । सुहागिन स्त्रियों का पर्वकरवा चौथ के साथ ही महिलाओं में विशेषकर नवविवाहित युवतियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है वहीं बाजारों में भी महिलाओं की खरीददारी के लिए भारी भीड़ देखी जा रही है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ का पर्व सुहागिन स्त्रियां बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाती है। करवा चौथ का पर्व महिलाऐं अपने पति की लम्बी आयु व मंगल की कामना के लिए रखती है। बताया जाता है कि इस दिन शिव पार्वती गणेश कार्तिकेय व चन्द्रमा की पूजा का विशेष विधान है। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाऐं एक चौकी पर मिट्टी का अनाज से भरा करवा व जल से भरा लोटा रखकर सतिया बनाती है। करवें में सुहाग का प्रतीक बिंदिया व श्रद्वा अनुसार बायने के रूप में पैसे, फल, वस्त्र आदि के साथ अनाज के कुछ दाने हाथ में लेकर ब्राह्मण महिला से कहानी सुनती है। कहानी सुनने के बाद करवा व जल का लोटा पवित्र स्थान पर रख दिया जाता है तथा रात के समय चांद को उस जल का अध्र्य देकर करवा अपनी सास, ननद अथवा ब्राहमणी को दे दिया जाता हे। व सास का आशीर्वाद लेकर व्रत खोल लिया जाता है। करवा चौथ के व्रत को महिलाऐं अपना प्रिय व्रत भी मानती है। करवा चौथ विवाहित महिलाओं का सबसे प्रिय व्रत माना जाता है क्योंकि यह व्रत उनके पति को लंबी उम्र प्रदान करता है। इस बार यह व्रत 22 अक्टूबर सोमवार को है। इस व्रत का पालन पूरे विधि-विधान से किया जाए तो पति की लंबी उम्र के साथ अन्य मनाकोमनाएं भी पूरी होती हैं।
करवा चौथ पर इस तरह करें व्रत, पूजन विधि
व्रत रखने वाली स्त्री प्रात:काल नित्यकर्मों से निवृा होकर, स्नान एवं संध्या आदि करके, आचमन के बाद संकल्प लेकर यह कहे कि मैं अपने सौभाग्य एवं पुत्र-पौत्रादि तथा निश्चल संपिा की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत करूंगी। यह व्रत निराहार ही नहीं, अपितु निर्जला के रूप में करना अधिक फ लप्रद माना जाता है। इस व्रत में शिव-पार्वती, कार्तिकेय और गौरा का पूजन करने का विधान है। चंद्रमा, शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और गौरा की मूर्तियों की पूजा षोडशोपचार विधि से विधिवत करके एक तांबे या मिट्टी के पात्र में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री, जैसे सिंदूर, चूडिया, शीशा, कंघी, रिबन और रुपया रखकर किसी श्रेष्ठ सुहागिन स्त्री या अपनी सास के पांव छूकर उन्हें भेंट कर देनी चाहिए।
सायं बेला पर पुरोहित से अवश्य कथा सुनें व दान-दक्षिणा दें। तत्पश्चात रात्रि में जब पूर्ण चंद्रोदय हो जाए तब चंद्रमा को छलनी से देखकर अध्र्य दें, आरती उतारें और अपने पति का दर्शन करते हुए पूजा करें। इससे पति की उम्र लंबी होती है। तत्पश्चात पति के हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ें।