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Dharam Karam

ईश्वर से जुड़ने का प्रयोजन होते हैं योग शिविर

December 29, 2014 01:10 PM

आमतौर पर योगासन को ही सम्पूर्ण योग समझ लिया जाता है जबकि वास्तव में योग में आसन मात्र दो प्रतिशत ही होता है । दो प्रतिशत योग आसन ने दुनिया-भर में धूम मचा रखी है, सम्पूर्ण योग से तो पूरी मानव जाति का जीवन सुखमय हो सकता है । स्वस्थ शरीर के लिए योग आसन आवश्यक हैं लेकिन सम्पूर्ण योग तो ईश्वर प्राप्ति का मार्ग है । परमात्मा का साक्षात्कार करने के लिए तन और मन दोनों का स्वस्थ होना परम आवश्यक है । यह रोचक जानकारी मुंबई से पधारे आचार्य अरूण कुमार आर्यवीर ने दी । योग पर भरपूर शिक्षा का रोहतक में आयोजित एक शिविर में विस्तृत वर्णन किया गया । यह शिविर रोहतक स्थित झज्जर रोड आर्य समाज के तत्वावधान में 24 से 28 दिसम्बर 2014 तक दिल्ली पब्लिक स्कूल, रोहतक में आयोजित किया गया ।                 

           पांच दिन तक चले इस  क्रियात्मक ध्यान योग प्रशिक्षण शिविर में वानप्रस्थ साधक आश्रम, रोजड़, गुजरात से पधारे शिविर के मुख्य संचालक आचार्य ज्ञानेश्वर ने योगाभ्यास कराया। उन्होंने बताया कि व्यक्ति अपने व्यवहार जीवन में ईश्वरीय आज्ञाओं को पालन नहीं करता किन्तु अपने को आध्यात्मिक मानता है। व्यक्ति ने अपने व्यवसाय और धर्म को बिल्कुल अलग अलग मान रखा है।   

            राष्ट्र के प्रति हमारे कर्तव्य के प्रति जागरूक करते आचार्य  ज्ञानेश्वर ने बताया केवल दो चार प्रतिशत खराब लोगों के कारण पूरी जनता को दुःख भोगना पड़ता है। यदि प्रजातन्त्र में वोट की ताकत को अजमाया जाए और शराब बन्दी के पक्ष में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाय तो शराब आदि का नगर से सफाया हो सकता है।

             सोनीपत से आए आचार्य सन्दीप ने योगदर्शन की कक्षा में समाधि के स्वरूप का वर्णन किया। यम नियम कक्षा में यमों एवं नियमों के फल बताए गए एवं आत्मनिरीक्षण संबंधी कक्षाएं लीं। इसके अलावा योग जिज्ञासुओं के योग सम्बन्धी गम्भीर शंकाओं का समाधान किया। जूनागढ़, गुजरात से पधारीं डॉ.सद्गुणा आर्या ने ज्ञान-कर्म-उपासना की कक्षा में कर्म एवं कर्मफल के विषय में श्रोताओं को बताया। मुम्बई से पधारे आचार्य अरुणकुमार ने ध्यान उपासना की प्रातः एवं सायं कक्षाएं लीं इसके अलावा व्यायाम प्राणायाम का भी उन्होंने ने प्रशिक्षण दिया। इस पांच दिवसीय शिविर में हर कोई आचार्य अरूण कुमार आर्यवीर की शुद्ध हिन्दी के उच्चारण और सम्मोहित कर देने वाली शैली पर मोहित था । मराठी मूल के आचार्य अरूण कुमार ने बताया कि सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने से पहले उन्हें भी हिन्दी नहीं आती थी ।

                          शिविर समापन के समारोह में पूर्व विधायक भारत भूषण बत्रा, डॉ. एस.एस. सांगवान , अनिल आर्य, लोकेन्द्र फोगाट, योगेश गुप्ता, ईश्वर गोयल और शिविर संयोजक मुकेश आर्य भी उपस्थित थे ।

 

चन्द्र प्रकाश बुद्धिराजा

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