कृष्ण अवतार सूरी:- भगवान किसे कहते हैं ? कहाँ मिलेगा ? कैसे मिलेगा ? कब मिलेगा ? इंसान भगवान को क्यों ढूढ़ रहा है इत्यादि सवाल हैं जिनका जवाब हरकोई अपने तरीके से देता है I कुछ उतर धार्मिक ग्रंथों पर आधारित हैं तो कुछ धर्म गुरुओं की तरफ से की गयी भगवान की परिभाषा है I कुछ लोग भगवान को संस्कारों से दिल में बनी आस्था के कारण मानते हैं तो कुछ मन में डर की वजह से भगवान को याद करते हैंI कुछ भी हो, यह एक रोचक तथा चर्चा का विषय ज़रूर है जिसमे हर व्यक्ति की रूचि है I
आजकल भगवान का नाम दुनिया के बाज़ार में सब से सस्ता,सब का प्यारा और सब से बढ़िया ब्रांड है जिसकी डिस्ट्रीब्यूटरशिप हर कोई लेना चाहता है I इस ब्रांड को बेचने के लिए पूँजी या किसी उच्च शैक्षणिक योगयता की ज़रूरत नहीं बस ! केवल एक अच्छा प्रवक्ता होना ज़रूरी है जो लोगों की भीड़ जुटा सके और वशीकरण की भाषा से आम लोगों को अपनी ओर आकर्षत कर सके I भगवान का नाम ही एक अदभुत व् चमत्कारी वस्तु है जिसे हरकोई पाना चाहता है I दुनिया के बाज़ार में भगवान का व्यापार खूब फल फूल रहा है और इसके वितरक आपार धन दौलत कमा रहे हैं I यह बिज़नस कभी फ्लॉप नहीं होता I इसलिए ज़्यादातर समझदार कारोबारी लोग दूसरे धन्धे छोड़ कर धर्म की आड़ में इस व्यवसाय को अपना रहे हैं I
हमारे संचार माध्यम भी भगवान की टी.आर.पी.बढ़ाने में अच्छा ख़ासा योगदान दे रहे हैं I लगभग सभी टी.वी. चैनल भगवान के नाम का प्रचार करते हैं और कई बाबा तथा युवक , युवतियां आकर्षक मेक-अप में कई चैनलों पर पर्वचन करते दिखाई देते हैं I इस भौतिकवाद में हरकोई तनावग्रस्त है क्योंकि हमारी प्राप्ति की इच्छा बेअंत हैI इंसान को जितना भी मिल जाए, कम लगता है और अधिक पाने की लालसा निरंतर बनी रहती है I जिज्ञासा मानसिक तनाव देती है और तनाव दूर करने के लिए लोग सुकून की तलाश में भटकते भटकते जा पहुँचते हैं बाबाओं की शरण में जो भगवान से मिलाने का वादा करके भोले भाले लोगों को गुमराह करते हैं और अपनी दुकानदारी चलाते हैं I आश्चर्य तो इस बात से होता है जब पड़े लिखे लोग भी अपनी अकल को ताक पर रख के इन कथा वाचकों के मुरीद हो जाते हैं और अपना सब कुछ तथा- कथित मुर्शदों को समर्पित कर देते हैं I हम क्या हैं, क्या करना है, कहाँ जाना है,क्या पाना है- ज़रा सोचने विचारने की बात है I आइये ! हम अपना आतम-चिंतन करें और भगवान को अपने अंदर खोजने की कोशिश करें I