सेवा में,
मुख्यमंत्री महोदय,
हरियाणा सरकार, चण्डीगढ।
विषयः- एक नागरिक की जनप्रिय मुख्यमंत्री को जनहित की शिकायत।
श्रीमान जी,
मैं आपकी (श्री मनोहर लाल खट्टर की) शिकायत आपसे (मुख्यमंत्री महोदय) से करने की गुस्ताखी कर रहा हूॅं कि आपने पूर्ववर्ती हुड़डा सरकार द्वारा लिये फैसलों की समीक्षा कर गैर जरूरी फैसलों को पलटने की धोषणा की थी। परन्तु अब तक आपने केवल तीन फैसलों, (1)कर्मचारियों की रिटायरमैन्ट आयु 58 साल से 60 साल, (11) कर्मचारियों को पंजाब वेतनमान व (111)बुढापा पेशंन, को ही पलटा जिससे लगभग 10-12 लाख परिवार प्रभावित हुये हैं। परन्तु हुड़डा सरकार के उन फैसलो पर जिनका अनुचित लाभ कुछ ही चुनिदा लोगो और वर्गो को जनता के खजाने से ऐसों आराम करने का इतंजाम किया उन फैसलों को पलटना तो दूर, उन पर विचार करना भी उचित नहीं समझा। जिनके बारे में हरियाणा की जनता की तरफ से आपको शिकायत दर्ज करवा रहा हूॅं।
श्री भुपेन्दª सिंह हुड़डा ने अपने निजी स्वार्थ के लिए भूतपूर्व मुख्यमंत्री के लिए ताउम्र के लिए मंत्री का दर्जा व मंत्री के तौर पर मिलने वाली सभी सुविधाओं समेत देने का फैसला स्वयं भूतपूर्व होने से पहले मंत्री मण्डल से पास करवा लिया। इस फैसले का मतलब है कि जो व्यक्ति एक बार मुख्यमंत्री की शपथ ले लेगा वह जनता के खर्चे पर कुर्सी समेत स्वर्ग को जायेगा। एक मंत्री के तौर पर 20-25 कर्मचारियों के अमले के साथ चण्डीगढ़ में कोठी व गाडी की सुविधाएँ बगैर किसी काम के गंगा जी में उसके फूल डालने तक मिलती रहेगी। एक भूतपूर्व मुख्यमंत्री 22 साल तक आपने घर पर आराम कर रहे थे। उन्हे किसी तरह की सुविधा व सुरक्षा की जरूरत महसूस नही हुई लेकिन यह फैसला होते ही वह भी सुरक्षा के घेरे में बुढापे में परिवार से अलग चण्ढीगढ़ पहुँचा दिये। अब लगता है इस फैसले को कोई भी आने वाला मुख्यमंत्री नही बदलेगा क्योकि इसमें उनका भी जनता के खर्चाे पर स्वर्ग का टिकट बुक हैंे। आप जैसे जनभावनाओं की कदर करने वाले सादगी पसन्द व्यक्ति से जनता को आशा थी कि आप इस गलत निर्लज फैसले को पलटने का साहस दिखाएगे, परन्तु लगता है कि आप भी लालच में आ गये।
पूर्ववर्ती सरकार ने मंत्रियों की पत्नियों के लिए सरकारी गाडी देने का प्रावधान कर रखा हैं। नियमानुसार सरकारी वाहन का प्रयोग केवल सरकारी काम के लिए ही किया जा सकता हैं। जबकि मंत्रियों की पत्नियों के पास सरकारी काम तो हैं नही। व्यक्तिगत कार्यो के लिए सरकारी वाहन का प्रयोग भ्रष्टाचार की परिभाषा में आता हैं। जनहित में इस फैसले को तुरन्त पलटा जाना चहिए।
पूर्ववर्ती सरकारों ने मंत्रियो व विधायको की आय पर लगने वाला आयकर सरकारी खजाने से देने का प्रावधान कर रखा हैं। ‘नानी खसम करे दोहता दंड भरे’’ वाली कहावत को चरितार्थ करने वाला फैसला शायद ही किसी विधी विधान में मिले। हरियाणा जैसे समद्र्व राज्य का मुख्यमंत्री, मंत्री व विधायक अगर अपनी आय पर आयकर अदा करने की सामर्थ नही रखते तो इस समद्र्व राज्य की जनता की तोहिन है। आपसे हरियाणा की जनता आशा करती हैं कि आप इस फैसले को पलट कर ईमानदारी का उदाहरण पैश करेगें।
आपकी व्यक्तिगत समारोह में शरीक न होने की धोषणा का जनता में बहुत अच्छा संदेश गया हैं उसके लिए आप बधाई के पात्र है। परन्तु यह फैसला आप अपने साथी मंत्रियों पर भी लागु करे तो यह हरियाणा की राजनीति में एक ‘मील का पत्थर’’ साबित होगा। आमतौर पर मंत्रियों का ज्यादा समय शादियों व कुआ पूजन समारोहो की शोभा बढाने में व्यतीत होता है। व्यक्तिगत समारोहो में सरकारी गाडी और अमले का प्रयोग नियमानुसार नही किया जा सकता परन्तु हमारे मंत्रिगण कहीं भी जाये व कुछ भी करे उनको सरकारी कार्य समझा जाता है। यह प्रथा गलत हैं। अगर व्यक्तिगत समारोहो में मंत्रिगण जायंे तो अपनी गाडी लेकर जायंे। सरकारी गाडी का इस्तेमाल सरकारी कार्य के लिए ही हो।
आपने अपनी सुरक्षा में कटोती कर स्वागतयोग्य कदम उठाया हैं परन्तु मंत्रियों की गाडियों के आगे व पीछे कमाडों समेत पुलिस जिप्सी सडक पर दौडती हैं तो जनता को असुविधा भी होती हैं और जनता पर अनावश्यक आर्थिक बौझ पड़ता हैं। इस ताम-जाम को जनहित मेें कम किया जाये।
पूर्ववर्ती सरकार के दौरान चण्डीगढ़ सचिवालय में एक काहवत थी कि यह ‘सरकार हुड़डंा की और बुढंा की सै’’। हुडडा जी तो चले गए परन्तु बुढंा ने जनता का लहु पीने के लिए छोड गए। श्री भुपेन्दª सिंह हुडडा जी कि अधोषित निति थी कि कोई भी अधिकारी कर्मचारी जिनकी उन तक पहुँच है वह रिटायर होकर घर न बैठे सेवा विस्तार ले ले या सेवा निवृत होकर सभी लाभ लेकर पूर्ननियुक्ति पर अपनी पसन्द की जगह किसी कार्यालय, संस्था या आयोगों में ले ले। उनके चहेते अधिकारियो की रिटायरमैनट की कोई उमर नही थी। इस निति के तहत बहुत सी सरकारी संस्थाओ का स्वरूप ही बदल गया। महामहिम राज्यपाल के ए0डी0सी0 जैसे महत्वपूर्ण पद जिस पर आई0पी0एस0 के एस0एस0पी0 रैंक के अधिकारी की ही नियुक्ति होती है। उस पर पिछले कुछ साल से एक सेवा निवृत हरियाणा पुलिस के डी0एस0पी0 रैंक के अधिकारी को सेवा विस्तार पर बतौर ए0डी0सी0 कार्यरत हैं। यह पद आई0पी0एस0 कैडर का पद है परन्तु पूर्व मुख्यमंत्री की नजदीकियों के कारण भारत सरकार के नियमों की उल्घना कर हरियाणा पुलिस के अधिकारी को सेवा विस्तार पर नियुक्ति दे रखी हैं।
हरियाणा लोक प्रशासन संस्थान (हिपा) गुड़गांव में संस्थान के महानिदेशक समेत 65 साल से 82 साल तक की आयु के 21 अधिकारी@कर्मचारी जिनमे से कुछ को सुनाई देना भी बन्द हो गया हैं कार्यरत हैं। प्रदेश के अधिकारी प्रशिक्षण के लिए इस संस्थान में जाते हैं तो यह प्रशिक्षण संस्थान न लगकर वृदाआश्रम लगता हैं।
हुडडा जी के जाने के बाद बुढंा की जाने की आश बंधी थी परन्तु आपने नये साल की शुरूआत अपने निजी सचिव को सेवा विस्तार देकर जनता की आशाओं पर पानी फेर दिया। अगर इन रिटायर्ड लोगो से आपको भी हुडडा जी की तरह इतना ही लगाव हैं तो इन पवित्र गायों से सरकारी संस्थाओं को मुक्त कर इनके लिए गऊशालाओं की तर्ज पर टप्च् वरिष्ठ नागरिक कलब बना कर उनमें इनकी सुख-सुविधाओं का प्रावधान कर दंे तो उचित होगा।
जनभावनाओं की कदर करते हुए उपरोक्त व्यापक जनहित की शिकायतों पर विचार करने की आशा करते हुए मैं भविष्य में भी जनहित के विषय आपके समुख रखता रहुँगा।
आपका भवदीय
रामकवार पुत्र फकीर चन्द निवासी गांव दुलिना तह0 व जिला झज्जर। फोन नं0 9991522270