Saturday, December 21, 2024
Follow us on
BREAKING NEWS
एमडब्ल्यूबी की अंबाला जिला कार्यकारिणी के अध्यक्ष राजीव ऋषि, महसाचिव चंद्रमोहन बनाए गए5 बार के CM ओपी चौटाला पंचतत्व में विलीनः दोनों बेटों ने मिलकर दी मुखाग्नि, चारों पोतों ने अंतिम रस्में निभाईं; समर्थकों ने फूल बरसाएमाननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती डॉ सुदेश धनखड़ स्वर्गीय ओम प्रकाश चौटाला जी को श्रद्धासुमन अर्पित करने 2 बजे उनके निवास तेजा खेड़ा जाएंगे।पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के निधन पर प्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोकपीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के निधन पर ट्वीट कर जताया शोक।डल्लेवाल की सेहत रिपोर्ट में चिंता की बात नहीं, सुप्रीम कोर्ट में बोली पंजाब सरकारमेरठ में कथा के दौरान भगदड़, कई महिलाएं घायलओम प्रकाश चौटाला के निधन पर पुत्र अजय चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला मेदांता पहुंचे
 
National

भावना तो तर्क वितर्क से परे होती है!

January 19, 2022 07:12 PM
डॉ कमलेश कली 
बचपन से ही मेरी मां हम सब को  खाना खाने से पहले भगवान को भोग लगाने के लिए कहती थी, और कुछ नहीं तो कृष्ण अर्पणं बोल दो ऐसा कहती थी। घर में विशेष अवसरों पर विधिवत भोग लगता था और ऐसा माना जाता था कि भोग लगाने से सब प्रभु प्रसाद बन जाता है, फिर तेरा मेरा नहीं रहता,बरकत भी रहती है,रज भी होता है अर्थात तृष्णा नहीं रहती। मंदिर, गुरुद्वारे और सब धर्म स्थलों पर भोग लगाने और फिर प्रसाद वितरण करने के अपनी  अपनी प्रथा होती है पर किसी न किसी रूप में  अर्पित जरुर किया जाता है, यहां तक यज्ञ करते हुए भी नैवेद्य समर्पित किया जाता है।एक बार एक छात्र ने अपने गुरु जी से इस संदर्भ में सवाल किया कि हम यूं ही भगवान को भोग लगाने की प्रथा निभाते हैं, क्योंकि भगवान तो खाता ही नहीं, अगर भगवान खाता तो अर्पित हुई वस्तु ,खाद्य पदार्थ  कम होना चाहिए ,जब भगवान खाते ही नहीं तो फिर भोग लगाने न लगाने से क्या फर्क पड़ता है। गुरु जी उस छात्र के सवाल पर उस समय तो चुप रहे , थोड़ी देर में उस छात्र बुलाकर पुस्तक से एक श्लोक याद करने को कहा ,तुभ्यम वस्तु गोविन्दं,तुभ्यमेव समर्पेयते,गृहाण सम्मुख हो भुत्वा, प्रसीदं परमेश्वर:, छात्र ने थोड़ी देर में श्लोक कंठस्थ कर लिया और गुरु जी को सुनाने लगा। गुरु जी बोले नहीं तुम्हें याद नहीं हुआ। छात्र ने आग्रह कर के कहा ,आप चाहे तो पुस्तक में देख सकते हैं।तब गुरु जी बोले, श्लोक तो किताब में वैसे का वैसा है,पर तुम्हारे पास कैसे आ गया?इस पर छात्र चुप हो गया,तब गुरु जी ने समझाया कि पुस्तक में जो श्लोक है,वह स्थूल है, तुमने कंठस्थ कर लिया तो सूक्ष्म रूप से श्लोक तुम्हारे दिमाग में चला गया, श्लोक वहां पुस्तक में भी वैसे का वैसा है, और  तुम्हारे दिमाग ने भी याद कर इसे गृहण कर लिया है। ऐसे ही जब हम भगवान को भोग लगाते हैं तो भगवान हमारी भावना अनुसार उसकी भासना लेते हैं, स्थूल रूप से चाहे वस्तु और खाद्य पदार्थ कम नहीं होता,पर हमारी भावना वहां तक पहुंचती है। शिष्य को अपनी बात का उत्तर मिल गया, और उसे समझ में आ गया कि भावना तो तर्क वितर्क से परे होती
Have something to say? Post your comment
More National News
डल्लेवाल की सेहत रिपोर्ट में चिंता की बात नहीं, सुप्रीम कोर्ट में बोली पंजाब सरकार अमित शाह के भाषण को कुछ विपक्षी सांसदों ने एडिट किया', बोले किरेन रिजिजू दहेज कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका संविधान के 75 वर्ष कल होंगे पूरे, बीजेपी ने 13-14 दिसंबर के लिए सांसदों को जारी किया व्हिप एक देश, एक चुनाव' बिल को केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी- सूत्र लोकायुक्त ने कर्नाटक के 6 जिलों में 10 अधिकारियों के घर की छापेमारी
सूत्रों से बड़ी खबर,नई दिल्ली से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन की शुरुआत 25 जनवरी 2025 को होगा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 8-10 दिसंबर को जाएंगे रूस, एस-400 पर भी होगी बात महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र 16 दिसंबर से शुरू होगा, तीन दिन चलेगा विशेष सत्र मुंबई: सीएम पद की शपथ लेने से पहले देवेंद्र फडणवीस ने किए सिद्धिविनायक मंदिर के दर्शन