विकेश शर्मा
चंडीगढ़- दो वर्षो के बाद केंद्र की मोदी सरकार-2 के मंत्रिमंडल का आज पहला विस्तार किया गया है. अप्रैल- मई 2019 में मौजूदा 17 वीं लोकसभा के लिए हुए आम चुनावो में भाजपा प्रत्याशियों को हरियाणा की सभी 10 लोक सभा सीटों पर जीत मिली थी जो एक प्रकार से पार्टी के लिए प्रदेश में अप्रत्याशित थी. बहरहाल, बुधवार 7 जुलाई के मंत्रिमंडल विस्तार से कुछ घंटों पहले ही प्रदेश की अम्बाला लोक सभा (अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित) सीट से भाजपा के रतन लाल कटारिया, जो लगातार दूसरी बार और कुल तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए थे, एवं जिन्हे वर्तमान मोदी सरकार में 2 वर्ष पूर्व जल शक्ति मंत्रालय और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में बतौर राज्यमंत्री बनाया गया था, उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया अथवा अगर दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो मोदी सरकार द्वारा उनसे इस्तीफ़ा लेकर उन्हें केंद्रीय मंत्रिपरिषद से हटा दिया गया है. अम्बाला लोक सभा हलके के निवासी एवं हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि इस लोक सभा सीट में अम्बाला, पंचकूला और यमुनागर ज़िलों के कुल 9 विधानसभा हलके आते हैं. 2 वर्ष पूर्व कटारिया ने रिकॉर्ड 57 प्रतिशत वोट हासिल कर कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री कुमारी शैलजा, जो वर्तमान में हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष भी हैं, को 3 लाख 42 हज़ार वोटों के विशाल अंतर से हराया था. इससे पहले कटारिया ने वर्ष 2014 और वर्ष 1999 के लोक सभा चुनावों में भी अम्बाला लोकसभा सीट से चुनाव जीता था. कटारिया हरियाणा प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं. उन्हें केंद्रीय राज्य मंत्रीपद से हटाने के पीछे वास्तविक कारण क्या रहा, यह स्पष्ट नहीं है. दो वर्ष पूर्व मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में गुडगाँव लोकसभा सीट से सांसद राव इंद्रजीत सिंह, फरीदाबाद से कृष्ण पाल गुज्जर और अम्बाला से रतन लाल कटारिया को केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था. इंद्रजीत और गुज्जर पहली मोदी सरकार में भी राज्य मंत्री ही थे.
हेमंत ने बताया कि नवंबर, 2014 में पहली मोदी सरकार बनने के छह माह बाद कांग्रेस में 42 वर्ष रहने के बाद भाजपा में शामिल हुए चौधरी बीरेंद्र सिंह को हालांकि केंद्र में कैबिनेट रैंक का मंत्री बना ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय दिया गया एवं वर्ष 2016 में उनका विभाग बदल उन्हें इस्पात (स्टील ) मंत्रालय दे दिया गया. अप्रैल, 2019 में अपने पुत्र बृजेन्द्र सिंह, जो पहले हरियाणा कैडर के 1998 बैच के आईएएस थे, को हिसार लोकसभा सीट से भाजपा टिकट दिए जाने पर बीरेंद्र ने मंत्रीपद से त्यागपत्र दे दिया एवं कुछ माह बाद राज्य सभा से भी त्यागपत्र दे दिया. हालांकि ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि बृजेन्द्र सिंह को इस बार हरियाणा से जाट कोटे में मंत्रिमंडल विस्तार में राज्य मंत्री बनाया जा सकता है परन्तु ऐसा नहीं हो सका. वहीँ फरीदाबाद लोकसभा सीट से दूसरी बार एवं छह लाख वोटो से अधिक वोटो से विजयी रहे भाजपा के कृष्ण पाल गुर्जर, जो कटारिया की तरह हरियाणा भाजपा के प्रदेश प्रधान भी रह चुके हैं, उन्हें 2 वर्ष पूर्व राज्य मंत्री के तौर पर केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल कर सामाजिक न्याय और अधिकारिकता मंत्रालय दिया गया था. कटारिया और गुर्जर दोनों एक ही मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाये गए थे. समाचार लिखे जाने तक यह आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं हुआ कि क्या गुर्जर का वर्तमान मंत्रालय बदला गया है अथवा नहीं ?
इसी प्रकार गुडगाँव सीट से राव इंद्रजीत सिंह हैं, जो रिकॉर्ड पांचवी बार लोक सभा का चुनाव जीते हालांकि तीन बार वह कांग्रेस पार्टी के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए, उन्हें वैसे तो 2 वर्ष पूर्व दूसरी मोदी सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था हालांकि उन्हें सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन एवं योजना मंत्रालय का कार्यभार दिया गया जो कि किसी दृष्टि से महत्वपूर्ण विभाग नहीं माना जाता है हालांकि उन्हें किसी कैबिनेट मंत्री को नहीं अपितु सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करना होता है. बहरहाल, इंद्रजीत को ताज़ा मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया हालांकि समाचार लिखे जाने तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि क्या उनका मंत्रालय बदला जाएगा।