विकेश शर्मा
चंडीगढ़ -- क्या हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) मनोज यादव को केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गत 2 मार्च को उनके राज्य (पेरंट) कैडर हरियाणा में 20 फरवरी 2021 से एक वर्ष या आगामी आदेशों, जो भी पहले हो, तक के लिए जो एक्सटेंशन प्रदान किया गया है, उस संबंध में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति संबंधी समिति (एसीसी) को कोई जानकारी ही नहीं है ? यह पढ़ने और सुनने में भले ही अजीब लगे, परंतु 12 मार्च को केंद्रीय सचिवालय के अंतर्गत एसीसी सेल के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) द्वारा एक आरटीआई याचिका के जवाब में ऐसा ही उल्लेख किया गया है.पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने इसी माह 4 मार्च को केंद्रीय सचिवालय में आरटीआई याचिका दायर कर दो बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी.पहली यह कि फरवरी-मार्च 2019 में मनोज यादव, जो तब केंद्रीय इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) में हार्डकोर अधिकारी एवं अतिरिक्त निदेशक पद पर थे, उन्हें एसीसी द्वारा हरियाणा के पुलिस प्रमुख तैनात करने संबंधी जो स्वीकृति प्रदान की गई उसकी सूचना दी जाए क्योंकि मौजूदा आइपीएस टेन्योर (कार्यकाल) पालिसी अनुसार आईबी के हार्डकोर अधिकारी की गैर-गृह राज्य में केवल इंटेलिजेंस या सुरक्षा संबंधी पद पर ही डेपुटेशन पर भेजा जा सकता है. यादव को हरियाणा का पुलिस प्रमुख तैनात करने के लिए अगर उक्त पालिसी में कोई ढील दी गई, उसकी भी सूचना मांगी गई थी.
दूसरे बिंदु में एसीसी द्वारा मनोज यादव को हाल ही में हरियाणा के पुलिस प्रमुख पद पर दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद अर्थात 20 फरवरी 2021 के बाद जो एक्सटेंशन मिली, उसकी भी सूचना मांगी गई क्योंकि उपरोक्त पालिसी अनुसार आईबी का हार्डकोर अधिकारी, जो डीजी (महानिदेशक) लेवल का हो, उसकी राज्य सरकार में किसी भी पद पर प्रतिनियुक्ति (तैनाती) ही निषेध है. इस संबंध में एवं इसके लिए पालिसी में दी गई ढील बारे भी सूचना मांगी गई थी। जैसा कि बताया गया है कि 18 वर्ष पूर्व फरवरी, 2003 में मनोज यादव, जो हरियाणा कैडर के 1988 बैच के आईपीएस हैं, आईबी में बतौर प्रतिनियुक्ति पर गए थे जहाँ उन्हें समय समय पर केंद्र सरकार द्वारा एक्सटेंशन प्राप्त होती रही एवं इसी दौरान वो असिस्टेंट डायरेक्टर, डिप्टी डायरेक्टर, ज्वाइंट डायरेक्टर और फिर एडिशनल डायरेक्टर पद पर आसीन रहे थे. फरवरी, 2019 तक अर्थात 16 वर्षों तक आईबी में उक्त पदों पर रहने के बाद उन्हें दो वर्षों के लिए हरियाणा का पुलिस प्रमुख (डीजीपी) तैनात किया था, जिस कार्यकाल में बीते दिनों केंद्र सरकार द्वारा बढोत्तरी की गई है. आईबी में रहते हुए यादव आईबी में हार्ड- कोर अधिकारी के तौर पर भी शामिल कर लिए गए जिस पद के लिए चयन केंद्रीय गृह सचिव, कार्मिक विभाग के सचिव और आईबी निदेशक की तीन सदस्यी समिति करती है जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति संबंधी समिति (एसीसी) अनुमोदित करती है.उन्होंने बताया कि एक बार आईबी में हार्ड-कोर अधिकारी बनने के बाद संबंधित आईपीएस अधिकारी को सामान्यतः वापिस उसके राज्य कैडर में नहीं भेजा जाता है हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों या आवश्यक प्रशासनिक कारणों से उपरोक्त कमेटी और एसीसी की सहमति द्वारा ऐसा किया भी जा सकता है.इसके अतिरिक्त आईबी के उक्त हार्ड-कोर अधिकारियों को देश के विभिन्न राज्यों की ग्राउंड परिस्थितियों से अपडेट करवाने के लिए और प्रदेशों की स्पैशल ब्रांच/ इंटेलिजेंस विंग को सुदृढ़ करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों की सहमति से विभिन्न प्रदेशों में (अपने गृह राज्य को छोड़कर) प्रतिनियुक्ति पर इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी (सुरक्षा) संबंधी पदो पर अधिकतम तीन वर्षों के लिए भेजा जा सकता है. ऐसा उल्लेख आईपीएस टेन्योर पालिसी, जो मार्च, 2010 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बनाकर प्रभावी की गई, के पैरा नम्बर 6.6 में है. फरवरी, 2019 में यादव को भी उक्त नीति के उपरोक्त पैरे के अंतर्गत ही हरियाणा कैडर में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया होगा. अब चूंकि प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (राज्य पुलिस प्रमुख) पद में, जिस पर यादव को हरियाणा सरकार द्वारा तब दो वर्षों के लिए तैनात किया गया था, यह पद इंटेलिजेंस एवं सुरक्षा संबंधी पद से पूर्णतया भिन्न होता है, इसलिए अब उक्त नीति में स्पष्ट उल्लेख के बावजूद यादव को उससे विपरीत भिन्न पद पर कैसे लगाया गया ? क्या इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा हरियाणा सरकार को कोई ढील दी गई थी, यही सूचना उन्होंने आरटीआई द्वारा मांगी थी.
बहरहाल, एक और प्रशासनिक एवं तकनीकी पेच के बारे में हेमंत ने बताया कि 2 मार्च को यादव को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई एक वर्ष की एक्सटेंशन आदेश में आईपीएस टेन्योर पालिसी
के पैरा नम्बर 6.6 का ही संदर्भ है एवं उसमें किसी प्रकार की ढील देने का उल्लेख नहीं किया गया है. अब चूंकि उक्त पैरै में स्पष्ट तौर पर उल्लेख है कि डीजी लेवल के आईपीएस की राज्यों में प्रतिनियुक्ति नहीं की जाएगी और यादव को पिछले माह फरवरी, 2021 में ही केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा केंद्र सरकार में डीजी रैंक में इंपैनल्ड कर लिया गया है, इसलिए उन्हें उक्त नीति में उपयुक्त संशोधन करके ही या इसमें ढील देकर ही एक वर्ष या अगले आदेशों तक, एक्सटेंशन प्रदान की जा सकती है. इस संबंध में भी उन्होंने आरटीआई मार्फत सूचना मांगी थी.