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जींद उपचुनाव में बीजेपी का होगाा कड़ा इम्तिहान, सामने है चैलेंज
nएनबीटी न्यूज, जींद : हरियाणा की राजनीति को दिशा देते आ रहे जींद विधानसभा सीट बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल रही है। इस सीट पर बीजेपी आज तक अपना खाता भी नहीं खोल पाई है। अब जींद विधानसभा सीट के संभावित उप-चुनाव में भी बीजेपी के लिए जींद आसान राजनीतिक चुनौती साबित नहीं होगा। बीजेपी के लिए जींद सीट पर जीतने लायक उम्मीदवार का चयन भी आसान नहीं होगा। जींद विधानसभा सीट पर दिसंबर में राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनावों के साथ उपचुनाव को लगभग तय माना जा रहा है।
आईएनएलडी विधायक डॉ. हरिचंद मिढा के निधन से खाली हुई जींद विधानसभा सीट पर दिसंबर में उपचुनाव होता है। जींद विधानसभा सीट पर बीजेपी कभी अपना खाता भी नहीं खोल पाई है। जब-जब बीजेपी ने जींद विधानसभा सीट पर अकेले चुनाव लड़ा, वह मुख्य मुकाबले से बाहर रही। 2014 में बीजेपी के उम्मीदवार पूर्व सांसद सुरेंद्र बरवाला आईएनएलडी के डॉ. हरिचंद मिढा से लगभग 2200 मतों के अंतर से पराजित हुए थे। इस एक चुनाव को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी जींद विधानसभा सीट पर कभी मुख्य मुकाबले में भी नहीं आ पाई।
अब तक आईएनएलडी और कांग्रेस का कब्जा रहा
प्रदेश में 4 साल से बीजेपी की सरकार है। बीजेपी की जींद विधानसभा सीट पर ज्यादा मजबूत जनाधार कभी नहीं रहा है। इस सीट पर आईएनएलडी और कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी की आंधी को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी कभी जींद विधानसभा सीट के चुनाव में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज नहीं करवा पाई। इस लिहाज से जींद का उप-चुनाव बीजेपी और सीएम मनोहर लाल के लिए उनके 4 साल के शासनकाल में सबसे कड़ी राजनीतिक चुनौती साबित होगा। इस उपचुनाव में बीजेपी हारी तो संदेश अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों तक जाएगा। उप-चुनाव में हार का झटका बीजेपी सहन नहीं कर पाएगी। तब संदेश यह जाएगा कि जब बीजेपी जींद जैसी शहरी सीट पर भी जीत दर्ज नहीं कर सकती तो ग्रामीण विधानसभा सीटों पर बीजेपी की हालत अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में और कमजोर होगी। जींद में बीजेपी उप-चुनाव में जीत दर्ज कर पाई तो फिर विरोधी दलों इनैलो और कांग्रेस के लिए अगले साल होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में खतरे की बड़ी घंटी बज जाएगी।
उम्मीदवार का चयन भी नहीं होगा आसान
बीजेपी के लिए जींद के संभावित उपचुनाव में अपने लिए उम्मीदवार की तलाश भी कतई आसान नहीं होगी। उसकी टिकट के दावेदारों की सूची काफी लंबी है। इसमें बीजेपी के प्रदेश सचिव जवाहर सैनी, पूर्व सांसद और पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी टिकट पर चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे सुरेंद्र बरवाला, सीएम के निजी सचिव राजेश गोयल, स्वामी राघवानंद,आदि के नाम शामिल हैं