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आधार कार्ड बनाने वाले कार्यालयों में भी हो शिशु-अनुकूल सुविधाएं-जस्टिस ललित बत्रा

February 05, 2025 04:22 PM
हिसार निवासी आशीष जैन ने ईमेल के माध्यम से हरियाणा मानव अधिकार आयोग के सामने हिसार मुख्य डाकघर में आधार अपडेट के दौरान अपर्याप्त सुविधाओं के लिए अपनी शिकायत दर्ज कराई है| शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में लिखा है कि 6 जुलाई 2024 को जब वह अपने बेटे का आधार कार्ड अपडेट कराने गए तो पाया कि अत्यधिक गर्मी में माताएं अपने नवजात शिशुओं के आधार-कार्ड में अपडेट कराने के लिए इंतज़ार कर रही है|अत्यधिक भीड़ होने के बाद भी सुबह से आधार-कार्ड में अपडेट कराने के लिए केवल एक ही काउंटर उपलब्ध था, और जब इस बारे में मैंने कार्यालय के कर्मचारियों पूछा तो काम संसाधनों का हवाला दे दिया| शिकायत करने के बाद भी त्वरित या मौके पर कोई आवश्यक कदम नहीं उठाया|  
नवजात शिशु का नया आधार कार्ड बनाने और उसमे अपडेट कराने के लिए माताएं अकसर ही अपने नवजात शिशु के साथ मुख्य डाकघर में आती है और आवश्यकता पड़ने पर अस्वच्छ परिस्थितियों में उनको स्तनपान भी कराना पड़ता है क्योंकि यहां नवजात शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए कोई निर्धारित स्थान नहीं है|शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत में महिलाओं की गरिमा, बाल कल्याण और एक समान पहुंच से संबंधित उल्लंघन महत्वपूर्ण मानवाधिकारों पर प्रकाश डाला है| हिसार मुख्य डाकघर में अत्यावश्यक सेवाओं और निर्दिष्ट भोजन स्थान की अनुपस्थिति के कारण  माताओं को सार्वजनिक रूप से स्तनपान कराने के लिए मजबूर किया गया, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 (गोपनीयता और गरिमा का अधिकार), अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण का अधिकार) और संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता (UNCRC) (स्वास्थ्य और पोषण का अधिकार) का उल्लंघन है। मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के तहत सरकारी कार्यालयों में स्तनपान के अनुकूल सुविधाओं की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया।
उपरोक्त शिकायत को ध्यान में रखते हुए, हरियाणा मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस ललित बत्रा ने डाकघर और अन्य सार्वजनिक सेवा केंद्रों में शिशु-अनुकूल सुविधाएं जैसे भोजन कक्ष, शिशु देखभाल क्षेत्र और शिशुओं वाली महिलाओं के लिए अलग काउंटर बनाने की अनुशंसा की है| इसके साथ ही मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017, जो स्तनपान-अनुकूल कार्यस्थलों को अनिवार्य बनाता है, को ध्यान में रखते हुए आधार पंजीकरण/अद्यतन जैसी आवश्यक सेवाओं को संभालने वाले सरकारी कार्यालयों में भी इन शिशु-अनुकूल सुविधओं को बढ़ाने की अनुशंसा की है|  
बॉक्स: शिशुओं और उनकी माताओं के प्रति स्नेह का भाव रखे हुए हरियाणा मानव अधिकार आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस ललित बत्रा ने अपने निर्देशों में लिखवाया है कि यदि बुनियादी ढांचे में सुधार संभव नहीं है, तो शिशुओं के लिए घर-आधारित आधार पंजीकरण/अपडेट शुरू किया जाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि माता-पिता और उनके नवजात शिशुओं को किसी समस्या का सामना करने के लिए मजबूर न होना पड़े। बॉक्स क्लोज्ड 
बुनियादी सुविधाओं के साथ ही महिलाओं और शिशुओं के लिए अन्य सुविधाएं न उपलब्ध करा पाना मुख्य डाकघर, हिसार की विफलता है जो कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है| सम्मान का अधिकार, गोपनीयता, स्वास्थ्य और सेवाओं तक समान पहुंच से समझौता किया गया है| महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। सुधारात्मक उपाय लागू किये जाने चाहिए| सार्वजनिक सेवाओं को अधिक समावेशी, सर्वस्पर्शी, सुलभ और सुरक्षित बनाने के लिए सही तरीके अपनाने की तुरंत आवश्यकता है 
हरियाणा मानव अधिकार आयोग के प्रोटोकॉल, सुचना व जनसम्पर्क अधिकारी डॉक्टर पुनीत अरोड़ा ने बताया की उपरोक्त मामले की गंभीरता को समझते हुए आयोग ने अगली सुनवाई से पहले आयुक्त एवं सचिव, नागरिक संसाधन सूचना विभाग (CRID) हरियाणा सरकार के माध्यम से सभी हरियाणा राज्य के सभी अतिरिक्त उपायुक्तों से मौजूदा सुविधाओं, बुनियादी ढांचे और महिलाओं के लिए उचित सेवाओं के प्रावधान हेतु आवश्यक परिवर्तन और डाकघरों सहित सार्वजनिक सेवा कार्यालयों में बच्चों के लिए आधार कार्ड का पंजीकरण/अद्यतन पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख 27 मार्च 2025 निर्धारित की गई है|अधिकारियों को इस से पहले अपनी विस्तृत रिपोर्ट हरियाणा मानव अधिकार आयोग के पास प्रस्तुत करनी है|
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