चंडीगढ़(प्रदीप दलाल):जहरीले कीटनाशकों और दवाइयों से अस्पतालों में बढ़ती लंबी लाइन और नए-नए नाम से जन्म लेती बीमारियों व कीटनाशकों से बंजर हो चुकी भूमि को प्राकृतिक कृषि के माध्यम से समाधान देने वाले गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती का डंका देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बजा दिया है। नेपाल और श्रीलंका के बाद अब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के युवा भी प्राकृतिक कृषि मॉडल अपना रहे हैं। इन दिनों अमेरिका में रहने वाले कैथल फरल गांव के निवासी किसान प्रदीप राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि आर्य प्रतिनिधि सभा के मीडिया डायरेक्टर व स्वतंत्र पत्रकार प्रदीप दलाल और आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के अंतरंग सदस्य राममेहर आर्य उनके पुराने मित्र हैं और उन्होंने हमेशा राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक कृषि मॉडल के बारे में चर्चा की और सुझाव दिया कि अमेरिका के किसानों को भी इस मॉडल की जानकारी दी जाए। प्रदीप राणा ने जानकारी देते हुए बताया कि अमेरिका में किसानों से कृषि को लेकर लंबी चर्चा होती रहती है और उन्होंने जब कुछ महीने पहले राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक कृषि मॉडल के बारे में विस्तार से बताया तो वे किसान बड़े प्रभावित हुए और उन्होंने प्राकृतिक कृषि मॉडल को लागू करने की इच्छा जताई। उन्होंने बताया कि विदेश में लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति बेहद जागरूक हैं और वह कीटनाशकों और जहरीले दवाइयों का प्रयोग बेहद कम मात्रा में करते हैं लेकिन अब जब उन्हें प्राकृतिक कृषि मॉडल के बारे में पता लगा तो वह इस प्राकृतिक कृषि मॉडल को अपनाने के लिए आतुर दिखे। उन्होंने कहा कि भविष्य में जब भी उन्हें समय मिलेगा तब वें इन किसानों को गुरुकुल कुरुक्षेत्र के 180 एकड़ प्राकृतिक कृषि फार्म पर भी घूमाने का कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका में समय-समय पर भारतीय समुदाय विभिन्न तरह के कार्यक्रम का आयोजन करता रहता है और वह उन कार्यक्रमों में भी लोगों को प्राकृतिक कृषि अपने के लिए जागरूक करेंगे और राज्यपाल आचार्य देवव्रत की वीडियो दिखाकर उन्हें प्रेरित करेंगे ताकि हमारे देश के साथ-साथ पूरा विश्व प्राकृतिक कृषि के लाभ जान सके और जागरूक हो सके। गौरतलब हैं कि राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने पूरे देश में प्राकृतिक कृषि के माध्यम से जो जागरूकता की अलख जगाई है, उसे लोग देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी प्राकृतिक कृषि मॉडल को अपना रहे हैं। राज्यपाल आचार्य देवव्रत हमेशा स्पष्ट करते रहे हैं कि प्राकृतिक कृषि और जैविक कृषि में जमीन आसमान का अंतर है और यह लोगों को समझना होगा कि प्राकृतिक खेती में खर्च बिल्कुल नहीं होता जबकि जैविक कृषि में किसान की लागत ज्यादा पड़ती है। उन्होंने कहा कि जब प्राकृतिक कृषि मॉडल के अनुसार खेती होगी तो निश्चित रूप से नए-नए नाम से प्रतिदिन जन्म लेती बीमारियां और अस्पतालों में लगती लंबी लाइन अपने आप छोटी हो जाएगी क्योंकि जब हम जहरीले कीटनाशक और दवाइयां फसलों और सब्जियों पर छिड़कते हैं तो हर खाद्य पदार्थ जहरीला होता जा रहा है और यह जहर हमें नई -नई बीमारियां प्रदान कर रहा है। इसलिए स्वस्थ रहने और पैदावार को बढ़ाने के लिए व जल और भूमि को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र विकल्प है। गौरतलब है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार प्राकृतिक कृषि मॉडल के माध्यम से पूरे देश में जागरूकता के लिए राज्यपाल आचार्य देवव्रत की सराहना करते रहे हैं। अब तो केंद्र सरकार भी किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं बना रही है ताकि किस प्राकृतिक खेती के माध्यम से अपनी बंजर होती जमीन और सूखते जल को बचा सके। निश्चित रूप से भविष्य में प्राकृतिक कृषि किसानों को जहर से अमृत की ओर ले जाने का कार्य करेगी।