डॉ कमलेश कली
गुरु पर्व पर आज सुबह से उनकी शिक्षाओं और गुरबाणी के साथ बधाई के संदेश एक दूसरे को भेजे जा रहे हैं और सबको सोशल मीडिया पर प्राप्त भी हो रहे हैं। नाम जपो,किरत करो,वंड छको का उपदेश देने वाले बाबा नानक ने जीवन में सेवा को बहुत महत्व दिया, और उन्होंने कहा कोई भी सेवा अपने आप में न छोटी होती है न ही बड़ी होती है,जिस भाव से की जाती है,वह महत्वपूर्ण है। हर प्रकार की सेवा जोड़े साफ करने से लेकर गुरुग्रंथ साहिब का पाठ करने तक सब हमारे ह्रदय से मैल को साफ करती है और उस परमात्मा से प्रेम बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि मानव मात्र की सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है और सेवा से ही मुक्ति और जीवन मुक्ति को पाया जा सकता है।एक बार सतगुरु के साथ कुछ लोग जो साथ साथ चल रहे थे, गुरु जी ने पीछे मुड़कर एक युवक को कहा कि बेटे!ये देखो यहां काई जमी हुई है,इसे झाड़ू और पानी से साफ कर दो। वह युवक बहुत बड़े सेठ का बेटा था, उसने साफ सफाई का कभी काम ही नहीं किया था और उसे अच्छा नहीं लगा कि वह यह काम करें। उसने यह बात साथ चल रहे एक और बाबा जी को कही तो उन्होंने कहा कि सतगुरु तो जानीजानन हार है, इसमें भी कोई राज़ होगा जो तुम्हें यह सेवा गुरु जी ने कही,हम सब भी तो साथ चल रहे थे, हमें भी तो गुरु जी यह आदेश दे सकते थे। अगर आप का मन नहीं मानता तो कोई बात नहीं,बैठ कर ध्यान कर लो। जैसे ही उसने वहां बैठ कर नाम जपना शुरू किया तो उसे एक स्वप्न सा दिखाई दिया, जिसमें वह अपने को सत्तर साल का बना पाता है और वह जैसे जैसे पानी और झाड़ू से सफाई करता जाता है, गुरु जी के हाथ में कुछ परचे है, जिन्हें वो पढ़ते जाते हैं और फाड़ते जाते हैं।तब उसे समझ में आता है कि कैसे गुरु जी उससे मामूली सेवा करवा कर उसके कष्टों को कम कर रहे थे और फिर वह उठ कर पानी की बाल्टी और हाथ में झाड़ू लेकर काई साफ करने में लग जाता है। सिख धर्म में सेवा को बहुत महत्व है, तभी तो कहते हैं कि सेवा भाव देखना हो तो गुरद्वारों में जाकर देखो, वहां बड़े बड़े अमीर,ऊंचे ओहदों पर काम करने वाले एक ही पंक्ति में बैठ कर लंगर छकते है और सब मिलकर हर प्रकार की सेवा करते हैं।सेवा करने से अंहकार भी तिरोहित होता है और हमारे पाप भी कटते हैं।