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GST राहत पैकेज पर विचार कर रही सरकार
[ दीपशिखा सिकरवार | नई दिल्ली ]
को रोना वायरस से बने हालात का आर्थिक असर घटाने और इकॉनमी को सहारा देने के लिए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स Ṇ(GST) राहत पैकेज देने पर विचार किया जा रहा है। मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि इसके तहत कोविड 19 महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित रेस्टोरेंट्स, एविएशन और हॉस्पिटैलिटी जैसे सेक्टरों को यह छूट दी जा सकती है कि वे छह महीनों तक जीएसटी पेमेंट न करें। साथ ही, रियल एस्टेट सेक्टर के लिए जीएसटी रेट घटाया जा सकता है।
अभी इनवॉयस बेस्ड सिस्टम पर टैक्स लगाया जाता है। हालांकि विचार यह किया जा रहा है कि कैश सिस्टम के आधार पर जीएसटी लगाया जाए। साथ ही, ऐसी बिक्री पर जीएसटी राहत देने पर विचार किया जा रहा है, जिसके लिए पेमेंट लॉकडाउन के कारण नहीं मिला है। सूत्रों ने बताया कि कैश की तंगी से जूझ रही इकाइयों को इन उपायों से राहत मिलने की उम्मीद है। इन प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल करेगी, जो इस टैक्स के बारे में फैसले करने वाली शीर्ष संस्था है। एक सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया, 'इन सर्विस सेक्टरों को राहत देने पर विचार किया जा रहा है।' सरकार इन्हें कुछ समय के लिए दूसरे वैधानिक शुल्कों से भी छूट दे सकती है। पूरा जीएसटी माफ करने की मांग हो रही है, लेकिन अधिकारी ने बताया कि सरकार टैक्स कुछ समय के लिए न चुकाने की छूट देने को बेहतर तरीका मान रही है। किसी सेक्टर के लिए पूरी टैक्स माफी से क्रेडिट चेन में दिक्कत आएगी जिससे समस्याएं बढ़ेंगी। कैश बेस्ड सिस्टम का मतलब यह होगा कि कारोबारी पैसा मिलने पर जीएसटी चुकाएंगे, न कि बिल जारी होने पर। इससे उन्हें अपनी जेब से टैक्स नहीं देना होगा और उन्हें कामकाजी पूंजी की तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यह कदम सर्विसेज के मामले में ज्यादा अहम है जिसमें बिल जारी होने के कुछ समय बाद पेमेंट मिलता है। सेवा क्षेत्र की अधिकतर इकाइयां क्लाइंट्स से पेमेंट में देरी का सामना कर रही हैं, लेकिन उन पर जीएसटी देनदारी का बोझ बना हुआ है। एक और विकल्प यह है कि ऐसे देर वाले पेमेंट पर जीएसटी न लिया जाए। कई देशों ने कोरोना से बने हालात में टैक्स पेमेंट पर अस्थायी रोक लगाई है। एक अधिकारी ने बताया, 'कारोबारियों को इस संकट से उबरने में मदद देने पर विचार हो रहा है।' उन्होंने कहा कि उममीद है कि असाधारण आर्थिक स्थिति को देखते हुए राज्य इस कदम का समर्थन करेंगे। रेस्टोरेंट्स पर 5% जीएसटी लगता है, वहीं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कई दरें हैं। 7500 रुपये प्रति रात से ऊपर के किराए वाले कमरों पर 18 प्रतिशत जीएसटी और इससे कम किराए वालों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इकनॉमी क्लास ट्रैवल के लिए जीएसटी 5 प्रतिशत है, वहीं बिजनेस क्लास पर यह 12 प्रतिशत है। रियल एस्टेट सेक्टर के लिए प्रस्ताव यह है कि रेट बिना क्रेडिट के 5 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया जाए, वहीं क्रेडिट के साथ इसे 12 से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया जाए। टैक्स एक्सपर्ट्स ने कहा कि इंडस्ट्री को लिक्विडिटी की सख्त जरूरत है।
पीडब्ल्यूसी के नेशनल लीडर (इनडायरेक्ट टैक्स) प्रतीक जैन ने कहा, 'अभी इंडस्ट्री को लिक्विडिटी की जरूरत है, लिहाजा कुछ महीनों के लिए बिना ब्याज के जीएसटी पेमेंट टालने पर विचार
होना चाहिए।'
कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टरों को दी जा सकती है 6 महीने तक GST न चुकाने की छूट