8 मार्च आते ही नारी उसकी उपलब्धियों, उसकी समस्याओं तथा उसके समाज में स्थान की चर्चाओं, परिचर्चाओं सेमिनार, संगोष्ठियों तथा वक्तव्यों की बाढ़ सी आ जाती है। स्त्रीमुक्ति, स्त्री चेतना, स्त्री समथ्र्य तथा नारी सषक्तिकरण जैसे मुद्दों पर समाज के रहनुमा चितंक तथा सोषलमीडिया तथा परम्परावादी मीडिया पर बहस छिड जाती है।