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Bhavishya

कहाँ छुप गए भगवान

August 22, 2014 09:40 AM

छे दशक बाद भी नहीं बदला हिन्दोस्तान

आज भी भूखे नंगे और बेकस हैं इंसान

नहीं मिला अब भी रोटी कपड़ा और मकान

आत्महत्या कर रहा क़र्ज़ में डूबा किसान

अहल-ए-हवस पी रहे हैं महफ़िलों में जाम

पैसा ही इनकी फ़ितरत है पैसा ही ईमान

चन्द लुटेरों ने आदमी का जीना किया हराम

बने बैठे हैं मसीहा भीड़ में यह शैतान

भ्र्ष्टाचार का सताया हर शख्स है परेशान

आतंक के माहौल में कोई लाए शान्ति का पैगाम

पाप से धरती कांप रही कहाँ छुप गए भगवान

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