Friday, April 19, 2024
Follow us on
BREAKING NEWS
पीएम नरेंद्र मोदी ने फर्स्ट टाइम वोटरों से की खास अपील, बोले- 'लोकतंत्र में हर वोट कीमती है...'अभिनेता रजनीकांत ने तमिलनाडु के चेन्नई में किया मतदानछत्तीसगढ़ के बीजापुर में फटा UBGL सेल, CRPF का एक जवान घायल2024 का लोकसभा चुनाव देश के भविष्य का चुनाव है', अमरोहा में बोले पीएम मोदीचंडीगढ़। अंबाला लोकसभा के लिए INLD प्रत्याशी की घोषणा. सरदार गुरप्रीत सिंह को बनाया प्रत्याशीपंजाब में बच्ची को जिंदा दफनाने वाली महिला को फांसीहरियाणा में मंत्रियों को विभागों का बंटवाराः गृह विभाग CM ने अपने पास रखा; दलाल नए वित्तमंत्री बने, स्वास्थ्य कमल गुप्ता को सौंपासलमान के घर शूटिंग के आरोपी सागर पाल के भाई सोनू से भी पूछताछ हुई
Entertainment

केदारनाथ Review: भीषण त्रासदी को भुनाने की कोशिश करती कमजोर फिल्म

December 07, 2018 11:40 AM

अभिषेक कपूर की फिल्म केदारनाथ बहुत मुश्किलों के बीच सिनेमाघरों तक पहुंची है. सुशांत सिंह राजपूत ने एक और नए किरदार में खुद को आजमाया, लेकिन कहानी के कमजोर होने के कारण वे अपनी अभिनय क्षमताओं का दोहन नहीं कर पाए. काई पो चे जैसी फिल्म बनाने वाले अभिषेक कपूर फिर उसी तरह कहानी के स्तर पर मात खा गए, जैसे अपनी पिछली फिल्म फितूर में खाए थे. इस बार उन्हें सिर्फ बाढ़ के दृश्य ही बचा सकते हैं. पढ़िये फिल्म की समीक्षा

कहानी

केदारनाथ की कहानी मंदिर के आसपास बसे कस्बे से शुरू होती है. यात्रियों को ले जाने वाले (पिट्ठू) मुस्लिम युवक मंसूर को एक ब्राह्मण की बेटी मुक्कू से प्रेम हो जाता है. मुक्कू का परिवार इस रिश्ते के खिलाफ खड़ा होता है. आखिरकार रातोंरात मुक्कू की शादी उसके मंगेतर से कर दी जाती है. मंसूर के प्रेम करने की सजा सभी मुस्लिमों को भुगतनी पड़ती है. इसके बाद कहानी करवट लेती है, जिसे जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

क्यों देखनी चाहिये?

मूवी में उत्तराखंड के खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का पूरा दोहन किया गया है. गगन छूते पहाड़ और कल-कल बहती नदियां आपकी आंखों को सुकून देंगी. भीषण बाढ़ के दृश्य को भी पहली बार इतनी वास्तविकता के साथ किसी हिंदी फिल्म में दिखाया गया है. VFX के जरिये रचे गए बाढ़ के मंजर ने दर्शकों को यह अंदाजा लगाने में मदद की है कि 2013 में आई केदारनाथ की बाढ़ कुदरत का कितना खौफनाक रूप थी.

अभिषेक कपूर कहानी में नयापन दिखाने में भले ही सफल ना हुए हो, लेकिन बाढ़ की विभीषिका दिखाने में जरूर कामयाब हुए. इसका एक निष्कर्ष यह भी हो सकता है कि उन्हें फिल्म नहीं, डॉक्यूमेंट्री बनानी चाहिए थी. मूवी के लिहाज से वे कहानी के स्तर पर बेहद सतही रहे. रिसर्च कमजोर दिखता है. यदि आप टाइटैनिक जैसी जल त्रासदी पर्दे पर नए रूप में देखना चाहते हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं. सिनेमेटोग्राफर और टेक्नीशियंस का काम पर्दे पर दिखता है.

सारा खूबसूरत नजर आई हैं. अदाकारी में उनके तेवर मां अमृता सिंह की याद दिलाते हैं. सुशांत सिंह राजपूत ने कहानी के मुताबिक पूरा न्याय किया. इस बार उन्होंने संवाद के बजाय अपने फेसियल एक्सप्रेशन के जरिए अभिनय किया. सबसे ज्यादा ईमानदार अभिनय किसी किरदार का दिखता है तो वो हैं अलका अमीन, जिन्होंने सुशांत की मां का किरदार निभाया.

नमो नमो गाना अच्छा फिल्माया गया है. कई जगह साउंड स्कोर सीन के मुताबिक लगता है. बाढ़ के दृश्यों में और बेहतर साउंड स्कोर हो सकता था.

कमजोर कड़ी

यदि बाढ़ की विभीषिका के दृश्यों को छोड़ दिया जाए तो 70 फ़ीसदी फिल्म में कमजोर कड़ियां ही दिखी हैं. मानव त्रासदियों को फिल्मों के जरिये भुनाने का रिवाज नया नहीं है, लेकिन ऐसी फिल्मों में कहानी और संवेदनाएं ही 'हीरो' होती हैं. फ़िल्म केदारनाथ में कहानी बेहद घिसी-पिटी और कमजोर है. एक युगल की साधारण प्रेम कहानी, जिनका रिश्ता उनके परिवार को मंजूर नहीं. मानो सिर्फ केदारनाथ की भीषण बाढ़ दिखाने के लिए ही एक साधारण सी कहानी का चुनाव कर लिया गया हो.

सुशांत ने कहानी के मुताबिक न्याय करने की कोशिश की, लेकिन उनका गुस्सा और मुस्कान हर फिल्म में एक ही जैसी होती है. सारा स्क्रीन पर अपना असर दिखाने की कोशिश में कई मर्तबा ओवर एक्टिंग करती नजर आती हैं. उनकी अदाकारी वास्तविकता के बजाय 'अदाकारी' ही मालूम पड़ती है.

इस तरह के धार्मिक वातावरण और प्राकृतिक नजारों के बीच संगीत को और अधिक निखारा जा सकता था. कहानी में मुस्लिमों के प्रति दुर्भावना, पूर्वग्रह और भेदभाव दिखाने की कोशिश की, लेकिन कई बार ये बेवजह और अस्वाभाविक लगता है. अधिक लाभ कमाने के मकसद से वादी में कंस्ट्रक्शन को बाढ़ की वजह दिखाने की कोशिश की गई, लेकिन ये तथ्य मजबूती से स्थापित नहीं हो पाता. फिल्म के संवाद बहुत प्रभावी और नायाब नहीं हैं, जिनकी भरपाई एक्टर्स को अपने एक्सप्रेशन्स से करनी पड़ती है.

फिल्म पहले हाफ में कहानी को स्थापित करने में नाकाम रहती है. इससे पहले कि दर्शक कहानी को समझे, इंटरवल आ जाता है. दूसरे हाफ में कहानी गति पकड़ती है, लेकिन ये अंतिम आधा हिस्सा बाढ़ के नाम ही रहता है, जिसका श्रेय राइटर या डायरेक्टर के बजाय वीएफएक्स टीम को ज्यादा मिलना चाहिये.

बॉक्स ऑफिस

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केदारनाथ का बजट 35 करोड़ रुपये है. इसमें प्रोमोशन का खर्च शामिल नहीं है. इसे कुल 2000 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है. कम स्क्रीन्स मिलने की वजह रजनीकांत और अक्षय कुमार की फिल्म 2.0 है, जिसे 6900 स्क्रीन्स पर रिलीज किया गया है. 2.0 यकीनन ही केदारनाथ के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को प्रभावित करेगी.

Have something to say? Post your comment
 
More Entertainment News
सलमान के घर शूटिंग के आरोपी सागर पाल के भाई सोनू से भी पूछताछ हुई सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग: लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल ने ली जिम्मेदारी Oscars 2024: 'द वंडरफुल स्टोरी ऑफ हेनरी शुगर' को सर्वश्रेष्ठ लाइव एक्शन शॉर्ट फिल्म का पुरस्कार एल्विश यादव के खिलाफ FIR दर्ज, मारपीट का वीडियो हुआ था वायरल
मशहूर गजल गायक पंकज उधास का 72 वर्ष की उम्र में निधन
मशहूर रेडियो प्रस्तोता अमीन सयानी का हार्ट अटैक से निधन, मुंबई में ली आखिरी सांस
Bigg Boss 17 Winner: मुनव्वर फारूकी बने 'बिग बॉस 17' के विनर, ट्रॉफी के साथ जीते 50 लाख रुपये-चमचमाती गाड़ी
टॉप 3 से बाहर 'TV की बहू' अंकिता लोखंडे, नहीं लेकर जा पाईं ट्रॉफी, फैन्स निराश विनर बनने से चूके अरुण राम मंदिर देखने वाले पहले 150 लोगों में से एक बनकर खुश हूं: रजनीकांत