COURTESY NBT SEPT 1
ऑफ िद �ैक
लहरों पर बिजलीघर
चंद्रभूषण
रूस ने पहली बार पानी के जहाज की तरह ढले एक तैरते हुए परमाणु ऊर्जा संयंत्र से बिजली उत्पादन शुरू करके दुनिया में संभावनाओं और आशंकाओं के एक नए दौर का आगाज कर दिया है। अकेडमिक लोमोनोसोव नाम के इस पावर प्लांट से 70 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है, जो एक छोटे भारतीय शहर की जरूरतें पूरी करने के लिए काफी है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि बिना किसी प्रदूषण या नाभिकीय कचरे के यह दिन-रात बिजली मुहैया कराता रहेगा। 12 साल की बिजली आपूर्ति भर को एटमी ईंधन इसमें है, जिसके चुकने पर यह रूस लौट जाएगा, जहां इसके कचरे का निपटान होगा और दोबारा ईंधन भरकर यह दुनिया में कहीं भी रवाना हो जाएगा। इसकी बिजली क्या भाव पड़ेगी, यह अभी नहीं बताया गया है, पर सौर, पवन और ज्वार ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर, लगातार बदलती आपूर्ति वाले ग्रिड्स के लिए सतत सप्लाई वाले अकेडमिक लोमोनोसोव जैसे ऊर्जा संयंत्रों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। सूचना है कि सूडान इसका पहला बिजली ग्राहक होने वाला है। समस्या इन संयंत्रों की संसार में कहीं भी फटाफट उपलब्धता से है। चीन ने ऐसे 20 संयंत्र अगले दो वर्षों में अपने तटीय-द्वीपीय इलाकों में तैनात करने की घोषणा की है, जिससे दक्षिणी चीन सागर का माहौल और गरमाने का खतरा पैदा हो गया है। कुछ खौफ सुरक्षा से भी जुड़ा है। कहा जा रहा है कि तटीय शहरों के पास खड़े ये 21 हजार टन वजनी जहाज किसी बड़ी सूनामी में शहर का काल बन जाएंगे