COURSTEY DAINIK BHASKAR MARCH 21वॉशिंगटन
गुस्से से चेहरा लाल हो जाना, डर से पीला पड़ जाना। ये सब कहावतों में तो अक्सर सुना जाता है, लेकिन अब तक ये साबित नहीं हुआ था कि ऐसा क्यों होता है। दरअसल इंसान की भावनाएं बदलने के साथ-साथ उनके शरीर में रक्त संचार की प्रक्रिया भी बदलती रहती है। इस बदलाव का ही असर चेहरे पर दिखता है, जिसकी वजह से चेहरे का रंग कुछ बदला हुआ लगता है। ये बात अमेरिका के ओहियो यूनिवर्सिटी के एक शोध से सामने आई है। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसी विषय पर शोध किया था कि अलग-अलग भावनाओं में लोगों के चेहरे का रंग क्यों बदल जाता है। साथ ही इस पर भी अध्ययन किया गया कि क्या चेहरे के रंगों के आधार पर किसी व्यक्ति की भावनाओं को पहचाना जा सकता है। नतीजा निकला कि- आमतौर पर अलग-अलग भावनाओं में व्यक्ति की नाक, आईब्रो और गाल के रंग में बदला आता है। 75% मामलों में चेहरे का ये बदलता रंग देखकर किसी व्यक्ति की भावनाओं को समझा जा सकता है। शोध टीम को लीड करने वाले डॉक्टर एलेक्स मार्टीन्ज बताते हैं कि- 'इंसान के चेहरे के बदलते एक्सप्रेशन और बदलते रंग का संबंध सेंट्रल नर्वस सिस्टम से होता है। हमने शोध में इसी सिस्टम को समझने की दिशा में काम किया। जब इंसान में अलग-अलग भावनाएं पैदा होती हैं, तो इसका पहला असर उसके शरीर में दौड़ने वाली खून पर पड़ता है। ये असर ज्यादा खुशी या ज्यादा दुख, डर, गुस्से जैसे भावनाओं में दिखता है। ऐसे में सेंट्रल नर्वस सिस्टम शरीर को संकेत देता है। ये संकेत पाकर खून के दौड़ने की रफ्तार और खून की संरचना में भावनाओं के मुताबिक फर्क आता है।
यही फर्क चेहरे के बदलते रंग के रूप में दिखता है। खास बात ये है कि ये पूरी प्रक्रिया हर जेंडर और हर उम्र के व्यक्ति के लिए एक जैसी ही रहती है।'
ओहियो यूनिवर्सिटी की टीम का कहना है कि इस पूरी प्रक्रिया को समझ लिया जाए, तो किसी भी इंसान का चेहरा देखकर उसकी भावनाओं को समझा जा सकता है। सेंट्रल नर्वस सिस्टम के इस कार्यप्रणाली को समझकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े अध्ययन में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।