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Health

रोजाना 4 घंटे 17 मिनट से ज्यादा कंप्यूटर स्क्रीन पर बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा : रिपोर्ट

January 15, 2017 06:18 AM


COURSTEY DAINIK  BHASKAR  JAN 15
रोजाना 4 घंटे 17 मिनट से ज्यादा कंप्यूटर स्क्रीन पर बिताना मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा : रिपोर्ट
सभी डिवाॅइस में सबसे सुरक्षित है कंप्यूटर रिसर्चमें कंप्यूटर की स्क्रीन को अन्य सभी डिवाॅइस की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से ज्यादा सुरक्षित बताया गया है। कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रतिदिन 4 घंटे 17 मिनट तक का समय सुरक्षित (स्वीट स्पॉट) है। टीवी के लिए यह 3 घंटे 41 मिनट है, स्मार्टफोन के लिए 1 घंटा 57 मिनट और सबसे कम वीडियो गेम्स के लिए, 1 घंटा 40 मिनट है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा,15 साल तक के 1.20 लाख बच्चों पर की गई स्टडी
भास्कर ख़ास
भास्कर ख़ास
एजेंसी | लंदन


आपकेबच्चे एक दिन में 4 घंटे 17 मिनट से ज्यादा कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बिताते हैं, तो यह उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। पर इस सीमा के अंदर स्क्रीन पर समय गुजारना उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं डालता। यह दावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में किया गया है। ऑक्सफोर्ड इंटरनेट इंस्टीट्यूट के मनोवैज्ञानिक डॉ. एंड्रयू जिबिस्की ने अपनी टीम के साथ टीनेजर्स पर यह स्टडी की है। एसोसिएशन फॉर साइकोलॉजिकल साइंस के जर्नल में इसे प्रकाशित किया गया है।
डॉ. एंड्रयू की टीम ने 15 साल तक की उम्र के 1 लाख 20 हजार 115 बच्चों पर स्टडी की। इसमें टीवी देखने, कंप्यूटर पर कंसोल बेस्ड वीडियो गेम्स खेलने, इंटरनेट सर्फिंग के लिए कंप्यूटर का इस्तेमाल करने और स्मार्टफोन पर सोशल कनेक्शन को शामिल किया गया। 99.9 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि वे हर रोज कम से कम एक डिवाइस पर समय जरूर बिताते हैं। रिसर्च में पाया गया कि अलग-अलग डिवाॅइस स्क्रीन के लिए अलग-अलग सुरक्षित समय सीमा है। इस समय को डॉ. एंड्रयू ने गोल्डीलॉक्स नंबर कहा है। जबकि उस सीमा को स्वीट स्पॉट नाम दिया है। रिसर्च के अनुसार, हर डिवाॅइस के लिए स्वीट स्पॉट अलग हैं। अगर बच्चे इस स्पॉट से ज्यादा समय उस डिवाॅइस पर बिताते हैं तो उनके मानसिक स्वास्थ्य व्यवहार पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन स्वीट स्पॉट के अंदर रहने पर यह बच्चों के दिमाग पर बुरा प्रभाव डाले बिना उनके सोशल कनेक्शन और स्किल को बेहतर करता है। इसमें सबसे कम स्वीट स्पॉट वीडियो गेम्स का है और सबसे ज्यादा कंप्यूटर का है। डॉ. एंड्रयू कहते हैं, 'हमने इस विषय से संबंधित कई लिटरेचर पढ़े। अधिकांश में हमें सिर्फ विचार मिले, जो बताते हैं कि स्क्रीन हमें दिमागी तौर पर बीमार बनाता है। इसके प्रमाणित करने के लिए तथ्य काफी कम मिले। अपने रिसर्च में हम इसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि अगर बच्चे नियंत्रित तरीके से इलेक्ट्रॉनिक डिवाॅइसेस की स्क्रीन्स पर समय बिताते हैं तो उनके स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं है।' हालांकि, रिसर्च में कहीं ये नहीं बताया गया है कि रोज स्क्रीन पर लंबा समय बिताने का शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है। हां, ये जरूर कहा गया है कि स्वीट स्पॉट तभी कारगर है जब बच्चे डिवाइस पर समय बिताने के अलावा पूरी नींद लें, नियमित एक्सरसाइज करें और वर्चुअल के अलावा रियल वर्ल्ड में भी दोस्तों के संपर्क में रहें

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