COURSTEY BHASKAR DEC 25
अमेरिकी वैज्ञानिकों की सलाह- महिलाएं प्रेग्नेंसी में लिपस्टिक और परफ्यूम का इस्तेमाल करें, बच्चे की जिंदगी को खतरा
बच्चे का आइक्यू भी प्रभावित हो सकता है
इसअदृश्य केमिकल से न्यूरोलॉजिक और बिहैवियरल डिस्ऑर्डर्स जैसे ऑस्टिम और एडीएचडी बीमारियों का खतरा है। ये आइक्यू लेवल को प्रभावित करता है। इसके अलावा हार्मोंस बदलने से कैंसर, डायबिटीज और इंडोमेटरिओसिस भी हो सकता है।
मैसाचुसेटस के वैज्ञानिकों ने रिसर्च में बताया- ब्यूटी प्रोडक्ट्स में खतरनाक बीपीएस केमिकल
भास्कर ख़ास
एजेंसी | मैसाचुसेटस (अमेरिका)
डॉक्टरमहिलाओं को प्रेग्नेंसी में कई चीजों का इस्तेमाल नहीं करने को कहते हैं। अब अमेरिकी वैज्ञानिकों ने उन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान ब्यूटी प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से भी मना किया है। क्योंकि इनसे मां के साथ-साथ बच्चे की जिंदगी को भी खतरा हो सकता है। साथ ही बच्चे की देखभाल भी प्रभावित होती है। इन प्रोडक्ट्स में डियोडेरेंट्स, लिपस्टिक और परफ्यूम शमिल हैं। दरअसल इन प्रोडक्ट्स बनाने में बिसफिनोल एस (बीपीएस) नाम के खतरनाक केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है।
यह दावा यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेटस के वैज्ञानिकों ने किया है। इसके लिए उन्होंने बीपीएस केमिकल का प्रयोग प्रेग्नेंट चूहों पर किया। रिसर्च में देखा कि 10 प्रतिशत चूहों के बच्चों की सही देखभाल नहीं होने के चलते असमय मौत हो गई। शोधकर्ता लाउरा वानडेनबर्ग और मैरी कैआनेसी का दावा है कि 'बीपीएस एक तरह का जेंडर वेंडिंग केमिकल है। यह मां के व्यवहार और उसके बच्चे के तंत्रिका को प्रभावित करता है। इसके चलते मां खुद और बच्चे की जरूरतों का सही से ध्यान नहीं रख पाती हैं। इसके कारण गर्भ में पल रहे शिशु की मौत की दर में इजाफा हुआ है।'
दरअसल, ब्यूटी प्रोडक्ट्स में बीपीएस केमिकल का इस्तेमाल बीपीए केमिकल की जगह कुछ सालों से किया जा रहा है। क्योंकि बीपीए प्लास्टिक के संपर्क में आने के बाद इंसान के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो जाता था। इसलिए इसे प्रतिबंधित कर दिया गया। लेकिन अब रिसर्च में वैज्ञानिकों ने बीपीएस को भी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया है। इसे इंडोक्राइन डिस्ट्रप्टिंग केमिकल (ईडीसीएस) भी कहते हैं। इसका हजारों प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होता है। इनमें डिटरजेंट्स, परफ्यूम, कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट्स प्रमुख हैं। इनमें बीपीएस-ए का प्रयोग पॉलीकार्बोनेट्स प्लास्टिक में किया जाता है, ताकि बॉटल्स और फूड कंटेनर टिकाऊ और दोबारा इस्तेमाल लायक हो सकें। जबकि बीपीएस पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स, बेबी बॉटल्स और थर्मल रेसिप्ट्स में किया जाता है। इस रिसर्च को इंडोक्राइनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित किया गया है